साल 2020। देशभर में लॉकडाउन लगा और अचानक ज़िंदगी थम सी गई। घरों के बाहर सन्नाटा था, लेकिन घरों के भीतर अनगिनत कहानियाँ जन्म ले रही थीं। यह समय कई लोगों के लिए मुश्किलों से भरा था, लेकिन कुछ महिलाओं के लिए यह एक नए रास्ते की शुरुआत भी बन गया।

मेरी कहानी भी उन्हीं में से एक है। मैं एक गृहिणी थी, जो सुबह से शाम तक घर और परिवार की जिम्मेदारियों में व्यस्त रहती थी। पति की नौकरी ठीक-ठाक चल रही थी, लेकिन लॉकडाउन ने सब बदल दिया। ऑफिस बंद हो गए, सैलरी आधी हो गई, और आने वाले समय की अनिश्चितता ने हमें चिंतित कर दिया।

पहले कुछ हफ्ते तो हम सोचते रहे कि यह सब जल्दी खत्म हो जाएगा, लेकिन जब हालात लंबे समय तक वैसे ही बने रहे, तो मुझे महसूस हुआ कि सिर्फ इंतज़ार करने से कुछ नहीं होगा। अब परिवार की मदद करने के लिए मुझे भी कुछ करना होगा।


शुरुआत की उलझनें

मुझे हमेशा लगता था कि “मैं काम कैसे कर पाऊँगी?” मैंने कभी घर के बाहर नौकरी नहीं की थी। डिजिटल दुनिया तो मेरे लिए और भी अनजान थी। बच्चे ऑनलाइन क्लासेज़ में व्यस्त रहते, और मैं घर के कामों में। पर अंदर कहीं एक चाह जाग चुकी थी – मुझे भी आगे बढ़ना है, मुझे भी अपनी पहचान बनानी है।

इसी दौरान मुझे ऑनलाइन सर्च करते-करते कुछ कहानियाँ मिलीं उन महिलाओं की जिन्होंने घर बैठे अपनी कमाई शुरू की थी। मुझे लगा – अगर वे कर सकती हैं, तो मैं क्यों नहीं?


पहला कदम

लॉकडाउन के दौरान ही मैंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट देखी – FlexiWomanSpace का ऑनलाइन सेशन। मैंने जिज्ञासा से रजिस्टर किया। उस सेशन में बताया गया कि कैसे महिलाएँ घर से डिजिटल स्किल्स सीखकर कमाई कर सकती हैं।

वहां कई महिलाओं की कहानियाँ सुनकर मुझे गहरा भरोसा हुआ। मैंने तुरंत कंटेंट राइटिंग और सोशल मीडिया मैनेजमेंट का कोर्स जॉइन किया। शुरुआत आसान नहीं थी – इंटरनेट की समस्या, बच्चों की शोरगुल, और परिवार की झिझक सबका सामना करना पड़ा। लेकिन मैंने ठान लिया था कि अब पीछे नहीं हटना।


संघर्ष से आत्मविश्वास तक

पहले महीने सिर्फ सीखने में बीता। मैंने रातों को बच्चों के सो जाने के बाद पढ़ाई की। धीरे-धीरे मुझे लिखने और डिज़ाइन बनाने का आत्मविश्वास आने लगा। दूसरे महीने मुझे अपना पहला प्रोजेक्ट मिला – एक छोटे से ऑनलाइन स्टोर के लिए ब्लॉग लिखने का। पहली कमाई सिर्फ 2000 रुपये थी, लेकिन मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात थी।

वह छोटी सी कमाई मेरे आत्मविश्वास की सबसे बड़ी पूंजी बन गई। अब मुझे समझ आने लगा कि यह रास्ता लंबा जरूर है, लेकिन सफल हो सकता है।


सफलता की उड़ान

अगले कुछ महीनों में मेरे काम की गुणवत्ता बेहतर होती गई। मैंने क्लाइंट्स के लिए सोशल मीडिया पेज मैनेज किए, ब्लॉग लिखे, और कुछ ईमेल कैम्पेन भी संभाले। धीरे-धीरे मुझे रेफरल्स मिलने लगे और मेरा नेटवर्क बढ़ता गया।

आज, लॉकडाउन के तीन साल बाद, मैं एक फ्रीलांसर के रूप में पाँच क्लाइंट्स के साथ काम कर रही हूँ और महीने का करीब 45,000 रुपये कमा रही हूँ। सबसे बड़ी खुशी यह है कि मैंने अपने परिवार की आर्थिक मदद की और अपने बच्चों को यह सिखाया कि मेहनत और हिम्मत से कुछ भी संभव है।


बदलती सोच

पहले मुझे लगता था कि “घर बैठकर काम करना मज़ाक है”, लेकिन अब मैं जानती हूँ कि यही भविष्य है। लॉकडाउन ने हमें सिखाया कि घर से भी करियर बनाया जा सकता है, बस सही दिशा और मार्गदर्शन की ज़रूरत होती है।

आज मैं सिर्फ एक गृहिणी नहीं, बल्कि एक वर्क फ्रॉम होम प्रोफेशनल हूँ। इस सफर ने मुझे आत्मनिर्भर बनाया, परिवार में सम्मान दिलाया और सबसे अहम – खुद पर विश्वास करना सिखाया।


कहानी की सीख

कभी-कभी कठिन हालात ही हमें नए रास्ते दिखाते हैं। लॉकडाउन एक कठिन दौर था, लेकिन इसी ने मुझे अपनी क्षमता पहचानने का मौका दिया। घर से काम करने वाली लाखों महिलाओं की तरह मेरी ज़िंदगी भी बदल गई।

अगर आप भी सोच रही हैं कि कहां से शुरुआत करें, तो याद रखिए – पहला कदम हमेशा सबसे मुश्किल होता है, लेकिन वही सबसे ज़रूरी भी होता है।

👉 मेरी इस सफलता की कहानी के पीछे FlexiWomanSpace का अहम योगदान है। उन्होंने मुझे न सिर्फ स्किल्स सिखाईं, बल्कि आत्मविश्वास भी दिया। अगर आप भी अपने सपनों को उड़ान देना चाहती हैं, तो FlexiWomanSpace के साथ जुड़कर अपनी नई शुरुआत करें।

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