जिंदगी कभी-कभी अचानक ऐसा मोड़ ले आती है कि हमें लगता है सब कुछ खत्म हो गया है। मेरी कहानी भी कुछ ऐसी ही है। एक साधारण दोपहर थी, घर के काम निपटाकर मैं चाय बना रही थी। तभी मेरे पति का फोन बजा। उनकी आवाज कांप रही थी – “मेरी नौकरी चली गई…” बस, इतना सुनते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई।
कॉर्पोरेट नौकरी में कई सालों से काम कर रहे मेरे पति हमेशा परिवार की जिम्मेदारी उठाते आए थे। लेकिन उस दिन पहली बार मुझे लगा कि जिंदगी अब कितनी मुश्किल हो सकती है। दो बच्चों की पढ़ाई, घर का किराया, बिजली-पानी का बिल, और रोजमर्रा के खर्चे – सब एकदम से भारी लगने लगे। रातों को नींद उड़ गई थी और दिनभर दिमाग चिंता में डूबा रहता था।
सबसे ज्यादा तकलीफ उस दिन हुई जब मेरी बेटी ने स्कूल ट्रिप के लिए पैसे मांगे और मैं उसे कुछ भी नहीं दे सकी। उसकी मासूम आँखों में मायूसी देखकर मेरा दिल टूट गया। उस रात मैंने खुद से वादा किया – अब रोने से कुछ नहीं होगा, मुझे कुछ करना ही पड़ेगा।
विरोध की दीवारें
मेरे इस फैसले पर सबसे पहले परिवार ने ही सवाल उठाए।
सास ने साफ कहा – “तुमने कभी काम नहीं किया, अब क्या कर पाओगी?”
पति ने भी समझाया – “तुम घर संभालो, मैं नौकरी ढूंढ लूंगा।”
लेकिन मेरे मन में कुछ और ही चल रहा था। मैं समझ चुकी थी कि सिर्फ दूसरों पर निर्भर रहकर हम आगे नहीं बढ़ सकते। अगर मुझे अपने बच्चों के सपने पूरे करने हैं, तो मुझे खुद कमाने की शुरुआत करनी होगी।
पहली किरण
एक दिन इंटरनेट पर सर्च करते हुए मेरी नजर एक विज्ञापन पर पड़ी – FlexiWomanSpace का वर्क फ्रॉम होम वेबिनार। मैंने उत्सुकता से उस पर क्लिक किया और पूरा सेशन देखा। वहां उन महिलाओं की कहानियाँ थीं जिन्होंने घर बैठकर अपनी पहचान बनाई थी। उनकी बातें सुनकर लगा जैसे किसी ने मेरे अंदर बुझ चुकी लौ को फिर से जला दिया हो।
मैंने उसी वक्त साइन अप किया और डिजिटल मार्केटिंग का कोर्स शुरू कर दिया। शुरू-शुरू में सब कुछ नया था। टेक्नोलॉजी, टूल्स, सोशल मीडिया – यह सब मेरे लिए कठिन था। लेकिन मैंने ठान लिया था कि पीछे नहीं हटना।
संघर्ष और शुरुआती कदम
पहला महीना सिर्फ सीखने में निकल गया। मुझे लगा शायद मैं ये सब कभी नहीं कर पाऊँगी। लेकिन मैंने हार नहीं मानी।
दूसरे महीने मुझे एक छोटा सा प्रोजेक्ट मिला – एक लोकल किराना दुकान के लिए सोशल मीडिया पोस्ट बनाना। भले ही पेमेंट बहुत कम थी, लेकिन मेरे लिए यह आत्मविश्वास की पहली सीढ़ी थी।
मैंने रात-दिन मेहनत की। सही कैप्शन लिखना, आकर्षक डिज़ाइन बनाना, और पोस्ट शेड्यूल करना – सब मैंने खुद सीखा और किया।
मेहनत का फल
तीसरे महीने मेरी मेहनत रंग लाई। मुझे तीन नए क्लाइंट्स मिले। महीने के पंद्रह हजार रुपये की कमाई मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं थी। धीरे-धीरे मेरा नेटवर्क बढ़ता गया। आज, एक साल बाद, मेरे पास चार स्थायी क्लाइंट्स हैं और मैं हर महीने करीब पचास हजार रुपये कमा रही हूँ।
अब न तो बच्चों की पढ़ाई का खर्च चिंता देता है, न ही किसी छोटे से शौक को पूरा करने से पहले सौ बार सोचना पड़ता है। मेरी बेटी का स्कूल ट्रिप हो या परिवार की छोटी खुशियाँ – मैं अब सबमें अपना योगदान दे सकती हूँ।
पहचान और आत्मविश्वास
मेरी इस जर्नी ने सिर्फ आर्थिक मदद ही नहीं की, बल्कि मुझे एक नई पहचान भी दी। आज मेरे पति मुझ पर गर्व करते हैं, सास भी कहती हैं कि मैंने सच में कमाल कर दिखाया। सबसे बड़ी बात यह है कि मैंने खुद पर भरोसा करना सीख लिया है।
इस पूरे सफर में FlexiWomanSpace का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने न सिर्फ मुझे स्किल्स सिखाईं, बल्कि एक सहारा और दिशा भी दी। यह सिर्फ कोर्स नहीं था, बल्कि आत्मविश्वास और स्वतंत्रता की एक नई राह थी।
कहानी की सीख
जिंदगी में मुश्किलें आएंगी ही। हालात कभी आपके पक्ष में होंगे, तो कभी आपको रोकने की कोशिश करेंगे। लेकिन असली जीत तभी है जब हम हार मानने की बजाय नए रास्ते तलाशें। वर्क फ्रॉम होम ने मुझे सिखाया कि कोई भी चुनौती इतनी बड़ी नहीं होती कि उसे पार न किया जा सके।
अगर मैं यह कर सकती हूँ, तो आप भी कर सकती हैं। बस पहला कदम उठाने की हिम्मत चाहिए।
👉 अगर आप भी अपना सफर शुरू करना चाहती हैं, तो FlexiWomanSpace के साथ जुड़ें और अपने सपनों को पंख दें।